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कविता

खुद से

आरती


एक प्रश्न खुद से -
यह कैसा आभामंडल बनाया है
कहीं खो ना देना खुद को
भस्म न हो जाए तुम्हारी आत्मा...
चलो उठो
बाहर निकलो
देखो! घास के तिनकों पर मोती उगे हैं


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हिंदी समय में आरती की रचनाएँ